राँची:
आम आदमी पार्टी झारखंड के पूर्व प्रदेश मीडिया प्रभारी एवं संत जेवियर कॉलेज राँची के पूर्व छात्र , सामाजिक – राजनीतिक कार्यकर्ता राजेश कुमार के द्वारा शुरू किये गये मुहिम ‘आओ कभी चौराहे पर’ को लगातार दस सप्ताह हो गये हैं। राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी के पुण्यतिथी के अवसर पर 30 जनवरी को शुरू हुये इस मुहिम के दसवें सप्ताह राँची के अल्बर्ट एक्का चौक पर राजेश ने झारखंड से आदिवासियों के पलायन का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि झारखंड को बने 22 साल हो गये हैं, जिसमें 11 मुख्यमंत्री बने हैं। 22 सालों में लगभग 16 साल आदिवासी मुख्यमंत्री ने सत्ता संभाली है। 10 बार आदिवासी मुख्यमंत्री रहे हैं, जिसमें बाबुलाल मंराडी एक बार, अर्जुन मुंडा तीन बार, शिबू सोरेन तीन बार, मधु कोड़ा एक बार और दो बार हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री रहे हैं। बाबजूद इसके राज्य में आदिवासियों की स्थिति नहीं सुधरी है और पलायन बदस्तुर जारी है। कौन है इसका जिम्मेदार? क्या आदिवासी नेताओं से यह सवाल नहीं पुछा जाना चाहिये? आदिवासियों और झारखंड के विकास के नाम पर जो लोग नेता बने और सत्ता में आये उन्होंने हर तरीके से अपना विकास किया। रोजगार के खातिर झारखंड के आदिवासी पलायन को मजबुर हैं। राज्य से आदिवासी लड़कियों और मजदूरों का मानव तस्करी किया जाना जग जाहिर है। कभी महाराष्ट्र , कभी तमिलनाडु तो कभी उत्तर पूर्व के राज्यों में झारखंड के मजदूरों और आदिवासियों के साथ मारपीट और बंधक बनाने कि खबरें आती है।
- आखिर क्यों आदिवासी नेतृत्व के बाद भी आदिवासियों के खातिर झारखंड में रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं हो पाये।?
- आखिर कब उन्हें अपने राज्य में रोजगार मिलेगा?
आज यह चिंता का विषय है। मौके पर इंडिया हेल्प सोसाईटी के मोहम्मद नवाज़ भी उपस्थित रहे।