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देश का पहला सबसे बड़ा ओपन बटरफ़्लाई पार्क जल्द ही पर्यटकों के लिए हो जाएगा तैयार

19.5 एकड़ में फैले इस पार्क में क्लोज व ओपन स्पेस बनेगा, जहां झारखंड में पाई जाने वाली सभी तरह की तितलियों को रखा जाएगा।

राँची:

02 करोड़ की लागत से राँची के ओरमांझी में उद्यान प्रबंधन के द्वारा मछली घर के समीप बन राज्य का पहला बटरफ्लाई पार्क बन रहा है।इस वर्ष मई तक रांची वासी बिरसा मुंडा जैविक उद्यान में रंग-बिरंगी तितलियों का दीदार कर सकेंगे। 19.5 एकड़ में फैले इस पार्क में क्लोज व ओपन स्पेस बनेगा, जहां झारखंड में पाई जाने वाली सभी तरह की तितलियों को रखा जाएगा। पार्क में पहले चरण का काम खत्म हो गया है। इसके तहत पाथवे, घेराबंदी व बागवानी के साथ बटरफ्लाई होस्ट प्लांट और नेक्टर प्लांट लगाए गए हैं। यहां अब प्राकृतिक रूप से तितलियों के रहने लायक पार्क तैयार कर लिया गया है। वहीं फेज दो में यहां कृत्रिम रूप से तितलियों का घर बनाने का काम शुरू हो चुका है, जो चारों तरफ से बंद होगा। इसमें स्टील स्ट्रक्चर का इस्तेमाल किया जाएगा। माँ तारा कन्स्ट्रक्शन के द्वारा बटरफ्लाई पार्क कंजरवेटरि का निर्माण किया जा रहा है। इसका डिज़ाइन राजस्थान की कम्पनी स्ट्रीट हाउस ने बनाया है। यहां तितलियाें के पालन-पोषण के साथ उनकी ब्रीडिंग भी कराई जाएगी।

पार्क की ख़ासियत :

पार्क के निर्माण और विकास में किसी भी पेड़ को काटा नहीं जाएगा। पार्क में पहले से मौजूद पेड़ों को पार्क में सहयोगी के रूप में विकसित किया जा रहा है । आपको बता दें की जहां पर बटरफ्लाई पार्क का निर्माण किया जा रहा है वहाँ पर पहले से ही बायोलोजिकल पार्क था। बिरसा जैविक उद्यान के निदेशक वेंकटेश्वर लू की पहल पर बायोलोजिकल पार्क को देश का पहला ओपन बटरफ़्लाई पार्क संरक्षिका के साथ बनाने की आधारशिला रखी गई। जो अब अपने अंतिम चरण में है। इस वर्ष बरसात के पहले पार्क के तैयार हो जाने की सम्भावना है।

बटरफ्लाई कंजर्वेटरी बनाने का इरादा:

construction progress of butterfly conservatory and pond.

बटरफ्लाई कंज़र्वेटरी एक पैरामीट्रिक स्टील संरचना है जो 3 पहलुओं से बनी है, जो एक औद्योगिक जाल में लिपटे हुए हैं, जो ऐसा लगता है जैसे वे तितलियों के लिए आश्रय बनाने के लिए जमीन से निकल रहे हैं। वेस्टिबुल के साथ बटरफ्लाई कंज़र्वेटरी का क्षेत्रफल लगभग 802.98 वर्गमीटर का होगा। बटरफ्लाई कंज़र्वेटरी के ठीक सामने प्रतिकूल समय के दौरान तितलियों के आसानी से बैठने के लिए उपयुक्त जलवायु स्थितियां बनाने हेतु एक तालाब के निर्माण किया जा रहा है जिसका आयतन 917.88 क्यूबिक मीटर होगा । पार्क में तितलियों के बारे में जानकारी के लिए तितलियों की इंटरएक्टिव मूर्तियां/सेल्फ़ी पॉइंट्स और साइनेज होंगे। प्यूपा, नर्सरी और उपकरण कक्ष के लिए एक परिरक्षण कक्ष होगा ।

तितलियों के दो तरह के होंगे घर

  • फेज वन : इसमें प्राकृतिक रूप से तितलियों को रहने लायक पार्क तैयार करना था जो लगभग पूरा कर लिया गया है ।
  • फेज दो : यहां कृत्रिम रूप से तितलियों का घर होगा, जो चारों ओर से बंद होगा। यहां तितलियाें का पालन-पोषण के साथ ब्रीडिंग कराई जाएंगी।जिसका काम शुरू हो चुका है।

तितलियों के लिए 40 क़िस्म के पौधे लगाए गए हैं

बटरफ्लाई पार्क माली भुवनेश्वर बताते हैं कि पार्क में तितलियों के रहने के लिए लगभग 40 से 50 क़िस्म के पौधे लगाए जा चुके हैं। इससे अभी से ही सुबह-शाम पार्क में बड़ी संख्या में आसपास की तितलियां आती हैं। पार्क में तितलियों की 70 से अधिक प्रजातियों के लिए लगभग 200 विभिन्न मेजबान और अमृत पौधों के साथ घने फूलों की क्यारियां होंगी। पार्क में लेमन, मैंगो, ऑरेंज, लीची, करी पत्ता, शीशम, सखुआ, बोगनवेलिया, सहगन, सदाबहार, नाइ ओ क्लाक आदि लगभग 40 प्रकार के पौधे लगाए गए हैं। पार्क प्रबंधन यहां झारखंड में पाई जाने वाली सभी प्रकार की तितलियों के रहने की व्यवस्था कर रहा है।

भूल-भूलैया होगा काफ़ी आकर्षक

कामिनी के पौधों से तैयार किया जा रहा है भूल-भूलैया

बटरफ्लाई पार्क के एक हिस्से में बन रहा भूल-भूलैया अपना आकर्षक रूप ले रहा है। लगभग 1800 कामिनी के पौधों से बना यह भूल-भूलैया पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र होगा। भूल-भूलैया में कामिनी के पौधों का इस्तेमाल होने पर पूछे जाने पर पार्क के बायोलोजिस्ट ने बताया कि कामिनी का पौधा आसपास के वातावरण को ख़ुशबू से भर देता है जो तितलियों के लिए लुभावना होगा। पार्क के माली भुवनेश्वर ने बताया की अगले 2-3 साल में भूल-भूलैया तैयार हो जाएगा।

70 प्रकार की तितलियों का होगा दीदार

बटरफ्लाई पार्क के सब-बीट ऑफ़िसर अमित कुमार बताते हैं कि तितलियों को पालन के लिए उद्यान में प्राकृतिक वातावरण दिया जा रहा है। दो तरह के पौधे लगाए जा रहे हैं। इसमें बटरफ्लाई होस्ट प्लांट और नेक्टर प्लांट लगाए गए हैं। बटरफ्लाई होस्ट प्लांट वो पौधे होते हैं तो तितलियों का निवास बनते हैं। तितलियां इन्हीं पौधों पर अपने अंडे देती हैं। अंडे देने के बाद उन्हें उद्यान में ही बन रहे स्पेशल ज़ोन में रखा जाएगा जहां वे विकसित होंगी। वहीं नेक्टर प्लांट वो पौधे होते हैं जिनपर बड़ी होने के बाद तितलियां पराग चुसती हैं। इसके लिए पार्क में लेमन, मैंगो, ऑरेंज, लीची, करी पत्ता, शीशम, सखुआ, बोगनवेलिया, सहगन, सदाबहार, नाइ ओ क्लाक आदि लगभग 40 प्रकार के पौधे लगाए गए हैं। अभी पहले फ़ेज़ का ओपन बटरफ्लाई पार्क बनने के बाद तितलियों का आना शुरू हो चुका है। पार्क में अब तक 70 क़िस्म की तितलियों को देखा जा चुका है। जिनमें प्लेन टाइगर, कोस्टर, स्ट्राकल टाइगर, कॉमन क्रो, कॉमन इवनिंग ब्राउन, ब्लू टाइगर, कॉमन लेपर्ड, कॉमन नवाब आदि तितलियां ख़ास हैं । प्लेन टाइगर में जहरीले तत्व होते हैं जिससे पक्षी इन्हें खाने से परहेज करते हैं।

राँची का मौसम तितलियों का पसंदीदा है

बटरफ्लाई पार्क के डिज़ाइनर गौरव बताते हैं की पूरे भारत में इस तरह का (संरक्षण की सुविधा के साथ ओपन बटरफ्लाई पार्क) यह पहला और अनोखा बटरफ्लाई पार्क होगा। गौरव बताते हैं की उन्होंने पूरे भारत में भ्रमण किया है लेकिन राँची का मौसम तितलियों के लिए सबसे आकर्षक है।

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