झारखंड के अलग-अलग जिलों में आतंक का पर्याय रहे सम्राट गिरोह के सरगना जयनाथ साहू को रांची सिविल कोर्ट से फिर बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने उसे एक और आपराधिक मामले में बरी कर दिया है। रांची सिविल कोर्ट के न्यायिक दंडाधिकारी समर अफसान की कोर्ट ने जयनाथ साहू को रंगदारी मांगने और गोली चलवाने के आरोपों से बरी कर दिया है। यह मामला रांची के लापुंग थाना से जुड़ा हुआ है। जिसमें वर्ष 2000 में जयनाथ साहू के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत में तीन गवाह पेश किए गए, लेकिन ये गवाह यह साबित नहीं कर पाए कि जयनाथ साहू ने रंगदारी मांगी थी और गोली चलवाई थी। जयनाथ साहू की ओर से अधिवक्ता प्रीतांशु सिंह ने कोर्ट में पक्ष रखा।
रांची सहित विभिन्न जिलों की पुलिस को जयनाथ साहू की पिछले दो दशक से तलाश थी। उसने लापुंग थाने में 14 अप्रैल 2013 को आत्मसमर्पण किया, जिसके बाद उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा भेज दिया गया था । जिस केस में जयनाथ साहू ने आत्मसमर्पण किया था , उस केस में तीन आरोपित आंगन वर्मा, मंगरू लोहरा एवं संतू साहू को रांची की न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 22 जून 2019 को बरी कर दिया था। वहीं, जयनाथ साहू को फरार घोषित करते हुए स्थायी वारंट निर्गत किया गया था।
सम्राट गिरोह का कभी राजधानी रांची सहित कई जिलों में बोलती थी तूती
कभी रांची रेंज के चार जिले रांची, खूंटी, सिमडेगा व गुमला में सम्राट गिरोह की तूती बोलती थी.गिरोह के सरगना जयनाथ साहू का नाम सुनते ही ठेकेदारों, क्षेत्र के व्यवसायियों में हड़कंप मच जाता था। हत्या, रंगदारी, मारपीट, आगजनी के दर्जनों मामले में सम्राट गिरोह का नाम सामने आता था. अब यह गिरोह पिछले एक दशक से निष्क्रिय पड़ा हुआ है. अलग राज्य बनने के बाद ही दिनेश गोप के झारखंड लिबरेशन टाइगर (जेएलटी) के जवाब में जयनाथ साहू ने सम्राट गिरोह के नाम से अपना आपराधिक गिरोह खड़ा किया था. जेएलटी ही बाद में चलकर पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट आफ इंडिया (पीएलएफआइ) बना था. तब उक्त क्षेत्र में सम्राट गिरोह व जेएलटी में अक्सर खूनी संघर्ष होता था. दोनों आपराधिक गिरोह जाति आधारित थी. धीरे-धीरे दिनेश गोप का वर्चस्व कायम होने लगा. बाद में उसने पीएलएफआइ नामक उग्रवादी संगठन मजबूत कर लिया. पीएलएफआइ के मजबूत होते ही सम्राट गिरोह कमजोर पड़ गया. करीब एक दशक से यह गिरोह निष्क्रिय है. हालांकि, पीएलएफआइ के भी कई बड़े कैडर या तो पकड़े जा चुके हैं या मारे गए हैं. अब दिनेश गोप के सहित गिने-चुने ही बड़े उग्रवादी पीएलएफआइ में सक्रिय हैं, जिनकी पुलिस की खोज जारी है.
जहानाबाद के सिपाही राधे सिंह ने ही जयनाथ को बनाया था सम्राट
रांची के बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में ही जयनाथ साहू को अपराध का गुरु मंत्र मिला था। लापुंग-कर्रा के क्षेत्र के बलि साहू का दबदबा था। उस वक्त जयनाथ साहू बीड़ी पत्ता ठेकेदारों से छोटी-मोटी रंगदारी वसूला करता था। बात वर्ष 1995 की है, जब गिरफ्तार कर जयनाथ साहू बिरसा मुंडा जेल भेजा गया था। वहां जेल में जहानाबाद का एक सिपाही राधे सिंह उर्फ बाबा भी हत्या के मामले में बंद था। उसी राधे सिंह ने जयनाथ साहू को अपराध का गुरु मंत्र दिया और बताया कि वह जेल से बाहर निकलकर अपराध की दुनिया में बेहतर नाम कमाएगा और उसे शूटर राधे मुहैया कराएगा। जेल में रहने के दौरान ही उसका बलि साहू से विवाद हो गया था। जेल से बाहर आने के बाद जयनाथ साहू ने और जोरदार तरीके से रंगदारी वसूलनी शुरू कर दी। उसे जहानाबाद के कई बड़े शूटरों का साथ मिल गया। बाद में उसने जेल से निकलकर बलि साहू के करीबी की हत्या करवा दी थी। लापुंग के एक अन्य अपराधी सुरेश गोप की वर्ष 2000 में पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद सुरेश गोप का भाई दिनेश गोप ने जयनाथ साहू की मदद ली। जयनाथ साहू के माध्यम से दिनेश गोप को बहुत से हथियार भी मिले। इसके बाद धीरे-धीरे दिनेश गोप खुद को मजबूत बनाने लगा। दिनेश गोप का बढ़ता कद देखकर जयनाथ साहू की उससे खटपट हो गई ओर फिर जयनाथ साहू ने सम्राट गिरोह बना लिया।