रांची:
झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के आखिरी दिन गुरुवार को भी प्रश्नकाल हंगामे की भेंट चढ़ गया। स्पीकर के सदन में आसन ग्रहण करते ही बीजेपी विधायक वेल में पहुंच गए। रिपोर्टिंग टेबल पर चढ़ गए। स्पीकर से कार्य स्थगन प्रस्ताव पढ़ने की मांग करने लगे। इस पर स्पीकर ने काफी नाराजगी जताई। वह बार-बार विपक्षी सदस्यों से अपने स्थान पर जाकर बैठने का आग्रह कर रहे थे। लेकिन इसका असर भाजपा विधायकों पर नहीं पड़ा।
हंगामे के कारण स्पीकर नाराज भी हो गए
भाजपा विधायकों की मांग पर स्पीकर ने कहा कि कार्य स्थगन हर दिन पढ़ता हूं। आज भी पढूंगा, लेकिन यह कब पढ़ना है, इसका नियम है। आपके अनुसार नहीं पढूंगा। इसके बाद विधायक अमर बाउरी कार्य संचालन नियम पढ़ने लगे। इस पर कांग्रेस के विधायक प्रदीप यादव ने आपत्ति जताई।
हंगामे के बीच सदन के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि भाजपा के विधायक सदन के अंदर अशोभनीय व्यवहार कर रहे हैं। वे सत्ता पक्ष की ओर ठेंगा दिखा रहे हैं। आलमगीर आलम ने भाजपा विधायकों के ऊपर कार्रवाई करने की भी मांग की।
पूर्वाहन 11:16 बजे स्पीकर के आसन ग्रहण करते ही भाजपा विधायक वेल में आकर एक समाचार पत्र में छपी तस्वीर को हाथ में लेकर अखबार की प्रतियां लहराने लगे। इस बीच पक्ष-विपक्ष में नोकझोंक भी हुई। भाजपा सदस्य सरकार विरोधी नारे लगाते रहे। कुछ पल के लिए सत्तापक्ष के विधायक भी वेल में आकर विपक्षी सदस्यों के विरुद्ध बोलने लगे। प्रश्नकाल बाधित होता देख स्पीकर ने सदन की कार्यवाही अपराह्न 12:45 तक के लिए स्थगित कर दी।
कमलेश सिंह ने की ग्रामीण सड़कों के विस्तार की मांग
पुनः अपराह्न 12:53 बजे स्पीकर के आसन ग्रहण करने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक कमलेश सिंह ने सूचना के तहत खड़े होकर ग्रामीण विकास मंत्री से ग्रामीण सड़कों के गुणवत्तापूर्ण निर्माण और सड़कों के विस्तार के संबंध में जानकारी मांगी। जिस पर मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि प्रत्येक विधायक को सड़क निर्माण के लिए संतोषजनक राशि निर्गत किए जाने का प्रावधान किया गया है। इसके बाद झामुमो के स्टीफन मरांडी ने सरकार को प्रस्ताव दिया कि विधायक मद की राशि को बढ़ाकर आठ करोड़ रुपए किया जाए। इस पर सभी विधायकों ने सहमति जताई।
कांग्रेस के सरफराज अहमद ने नमाज कक्ष के आवंटन का मुद्दा उठाते हुए कहा कि बाबूलाल मरांडी जब मुख्यमंत्री व इंदर सिंह नामधारी जब विधानसभा अध्यक्ष थे, उस समय भी नमाज के लिए पुराने विधानसभा परिसर में कक्ष आवंटन हुआ था। उन्होंने इस संदर्भ में एक कमेटी बनाकर दस दिनों में रिपोर्ट देने की मांग की। जिस पर प्रदीप यादव और बंधु तिर्की ने सहमति जताई। श्री अहमद के इस वक्तव्य का विरोध करते हुए बाबूलाल मरांडी ने कहा कि ऐसी कोई व्यवस्था मेरे मुख्यमंत्रीत्व काल में नहीं की गई थी। संविधान ऐसे निर्णय की इजाजत नहीं देता है। लोकतंत्र का मंदिर होता है विधानसभा। इसे लोकतंत्र का मंदिर ही रहने दें। इसके बाद प्रदीप यादव श्री मरांडी के वक्तव्य के विरोध में बोलने के लिए उठ खड़े हुए। उनके उठते ही भाजपा के सभी सदस्य हो हल्ला करने लगे। इस पर स्पीकर ने इस मुद्दे को लेकर एक समिति गठित करने की बात कही।