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NGT की पाबंदी के बावजूद दिन के उजाले में भी हो रही बालू की लूट, प्रशासन मौन

कभी कत्था कारोबार के लिए मशहूर यह चतरा जिला वर्तमान में बालू , पत्थर , अफीम , कोयला , ब्राउन शुगर , शराब का कारोबार के लिए है होता जा रहा है मशहूर ।

चतरा:

अवैध कारोबार के लिए चतरा जिला मशहूर होता जा रहा है । कोयला , बालू , अफीम , पत्थर , ब्राउन शुगर , व शराब की तस्करी कर माफिया खूब फल फूल रहे है । हालांकि अफीम , ब्राउन शुगर का कारोबार को रोकने के लिए जिले के पुलिस कप्तान व उनकी टीम के द्वारा लगातार करवाई जारी है इसके बावजूद बड़े तस्कर शातिराना खेल से बचते आ रहे है । यह जिला प्राकृतिक संसाधनों जैसे जंगल, खनिज और नदियों के मामले में काफी विविधताओं और संपदा से भरपूर है, झारखण्ड राज्य में सबसे अधिक जंगल चतरा जिला में है । इतना सब कुछ होने के बावजूद यहां की ज्यादातर जनता बेहद गरीबी में अपना जीवन बसर करती है । खनिज सम्पदा पर माफियाओ की बुरी नजर लग गई है ।

बालू

जिले के अधिकांश प्रखण्डों में नदी पर पूरी तरह से खनन माफिया का राज चल रहा है। यहां शासन-प्रशासन का कोई खौफ देखने को नहीं मिलता। खुलेआम खनन माफिया सरकार को चुनौती दे रहे हैं। कानून व्यवस्था का डर यहां पर दिखाई नहीं देता। हकीकत की बात करें तो पूरा सरकारी सिस्टम खनन माफिया के आगे नतमस्तक दिखाई पड़ता है। नदियों का सीना चीर कर प्रतिदिन सरकार को लाखों रुपये के राजस्व की चोट पहुंचाई जा रही है। हैरानी की बात है कि एनजीटी नियम लागू होने के बाद भी नदियों से बालू निकालने का न सिर्फ रात में बल्कि दिन के उजाले में भी अनवरत जारी है । स्थानीय प्रशासन और पुलिस महज चुप्पी साधे थोथी दलील समझा रहे है ।

NGT के नियमों के मुताबिक अभी नदी से बालू का खनन करना है गैर-कानूनी

जिले के टंडवा , हंटरगंज , इटखोरी , गिद्धौर , मयूरहंड और कान्हाचट्टी में सबसे ज्यादा बालू माफिया सक्रिय हैं ।बता दें कि बालू माफियाओं द्वारा दिन रात नदियों से अवैध खनन किए जाने के बावजूद भी उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है । अभी तक खनन माफिया बिना रोक-टोक के मुहाने नदी,निरंजना नदी और गेरूआ जैसी नदियों से बालू निकालकर बेखौफ बेच रहे हैं । रात हो या दिन चतरा में बालू का काला कारोबार का धंधा बेखौफ किया जा रहा है । बता दें कि NGT यानि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के नियमों के मुताबिक जुलाई अगस्त और सितंबर माह में नदी से बालू का खनन करना गैर-कानूनी है । साथ ही झारखंड सरकार के कानून के मुताबिक अवैध खनन करना गैर-कानूनी है । खनन को लेकर नियमों के साथ निर्धारित ढंग से इजाजत दी जाती है । इस गैरकानूनी बालू तस्करी के बारे में सब कुछ जान कर भी जिला प्रशासन से लेकर स्थानीय प्रशासन तक चुप्पी साध ली है । निरंजना नदी में बालू की लूट काफी दिनों से चलती आ रही हैं । जिसको लेकर दो वर्ष पहले एक बड़ा आंदोलन भी चला था । उसी निरंजना बचाओ आंदोलन की वजह से राज्य सरकार हरकत में आई थी । तब तत्कालीन खनन सचिव के निर्देश पर निरंजना नदी में बालू लूट के खिलाफ व्यापक छापेमारी की गई थी जिसमें बालू की लूट में जुटे 350 ट्रक जब्त भी किए गए थे । इतने बड़े पैमाने पर बालू लूट में ट्रकों की जब्ती पहली बार हुई थी उसके बाद बालू की लूट थम गई । फिर सरकार की नीति बदली और अब बालू उठाव का जिम्मा झारखंड राज्य खनिज विकास निगम को दे दिया गया है । बालू का खेल चतरा के अलग-अलग जगहों में बड़े पैमाने पर फैला हुआ है । खनन माफिया इतनी मजबूत है कि प्रशासन उन पर हाथ डालने की कोशिश तक नहीं करती और अगर कोशिश होती तो दिन के उजालों में दिनदहाड़े लूट का खेल नहीं चलता ।

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