राँची:
भारत सरकार के हैवी इंजीनियरिंग मंत्रालय की हठधर्मिता और मोदी सरकार की सार्वजनिक क्षेत्र विरोधी नीतियों के कारण झारखंड का प्रतिष्ठित मदर उधोग हैवी इंजीनियरिंग कार्पोरेशन (HEC) अब पुरी तरह बंद होने के कगार पर है.
केंद्र सरकार भी चाहती है कि HEC बंद हो जाय ताकि बाद मे HEC की बहुमूल्य परिसंपत्ति वे अपने चहेते निजी कार्पोरेट घरानों के हवाले कर सकें.
नीति आयोग ने भी PMO को HEC को बंद किए जाने की सिफारिश की है. जबकि HEC संयंत्र का आधुनिकीकरण कर और कार्यशील पूंजी का प्रावधान कर इस महत्वपूर्ण उधोग को बचाया जा सकता है.
HEC के पास जमीन की कमी नहीं है, साथ ही वर्तमान मे रक्षा मंत्रालय और ISRO समेत कई कंपनियों से लगभग 1800 करोड़ का कार्यादेश (वर्क ऑर्डर) भी है.
इसके अलावा HEC का विभिन्न प्रतिष्ठानों पर लगभग 660 करोड़ रू बकाया भी है जिसमें इस राशि का बड़ा हिस्सा केवल निफ्ट के पास है. यदि यह बकाया राशि ही HEC को तत्काल भुगतान हो जाय तब वह वर्तमान संकट से निकल सकता है. इस राशि से मजदूरों और अधिकारियों के बकाए वेतन का भुगतान करने के अलावा संयंत्र के लिए जरूरी साजो – सामान की खरीदारी भी हो सकती है. लेकिन केंद्र सरकार नीति आयोग की सिफारिश पर इसे बंद किए जाने का मन बना चुकी है.
HEC झारखंड की शान है और वर्तमान मे इसके सभी प्लांटों मे श्रमिकों के रूप मे काम कर रहे कामगारों मे लगभग 80 प्रतिशत कामगार राज्य के स्थानीय निवासी हैं. 7 माह से वेतन नहीं मिलने से उनके सामने भूखमरी की स्थिति पैदा हो गई है.
इस परिस्थिति मे झारखंड सरकार को आगे आकर इस उधोग को बचाने का काम करना होगा. माकपा राज्य की हेमंत सरकार से अपील करती है कि राज्य हित और मजदूर हित मे वो इस कारखाने का टेक ओवर कर इसे स्टेट पीएसयु के रुप मे इसका पुनरुद्धार करने का रोड मैप बनाए. एचइसी का टेक ओवर करने से राज्य सरकार को इस उधोग के लिए अधिग्रहित की गई जमीन का मालिकाना हक भी मिल जायेगा. राज्य सरकार की गारंटी मिलने से बैंकों द्वारा भी एचइसी को कार्यशील पूंजी उपलब्ध करायी जा सकती है.
इसके अलावा एक विशेष पैकेज का निर्माण कर एचइसी के विस्थापितों के पुनर्वास के लंबित मामलों का भी निपटारा किया जा सकता है.
उल्लेखनीय है कि उड़ीसा और केरल तथा वाम मोर्चा सरकार के समय पं. बंगाल मे कई बड़े बीमार उधोगों का टेक ओवर किया गया और यैसे अधिग्रहित कल- कारखाने और प्रतिष्ठान आज सफलता पूर्वक उत्पादन कर रहें हैं.
CPM हेमंत सरकार से आग्रह करती है कि वो हिम्मत दिखाए और सर्वदलीय बैठक बुलाकर और भारी उधोग संचालन करने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के विशेषज्ञों से चर्चा कर HEC के टेकओवर की दिशा मे कदम उठाए. राज्य सरकार अभी तत्काल एक सौ करोड़ रू कर्ज के रूप मे एचइसी प्रबंधन को उपलब्ध कराना चाहिए ताकि मजदूरों, अधिकारियों का बकाए वेतन दिया जा सके. साथ ही वहां के ट्रेड यूनियनों से वार्ता कर पिछले कई दिनों से जारी मजदूरों की टूल डाउन हड़ताल समाप्त करायी जाए.
यदि हेमंत सरकार इस दिशा मे आगे बढती है तो माकपा इस कार्य मे पुरी तरह मदद करने के लिए तैयार है.