Saturday, July 27, 2024
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हेमंत सरकार आरक्षण रोस्टर में सुधार करें नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे-विजय नायक

राँची:

उपरोक्त बातें आज आदिवासी मूलवासी जनाधिकार मंच के केंद्रीय उपाध्यक्ष सह पूर्व विधायक प्रत्याशी विजय शंकर नायक ने राज्य के मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन को अपने भेजे गए पत्र (ईमेल) के माध्यम से कहीं । इन्होंने यह भी कहा कि राज्य के 7 जिलों में ओबीसी का आरक्षण शुन्य कर दिया गया है और अनुसूचित जाति को मात्र 5% ही आरक्षण दिया गया है जो इन वर्गों के साथ सामाजिक अन्याय है जिसका आने वाले दिनों में व्यापक रूप से विरोध कर अपनी आपत्ति जाहिर किया जाएगा ।

राज्य की हेमंत सरकार जिलावार आरक्षण रोस्टर में दलित और ओबीसी समाज को हाशिये में डालने की राजनीति को अविलंब बंद करे और आरक्षण रोस्टर में तुरंत सुधार करें नहीं तो इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे।

श्री नायक ने आगे कहा के अनुसूचित जाति एवं ओबीसी के विधायक लोग अपने वर्ग को अधिकार दिलाने में असफल साबित हुए हैं । ऐसे में इन विधायकों को विधायक बने रहने का कोई औचित्य नहीं है । सभी विधायक या तो इस्तीफा दें या फिर सदन को चलने नहीं दें जब तक त्रुटियों में सुधार नहीं किया जाता है । इन्होंने यह भी कहा कि राज्य की हेमंत सरकार दलित /ओबीसी विरोधी कार्य कर रही है जिसका ही आज परिणाम है कि ओबीसी की जनगणना आज तक नहीं की गई और तो और यह समाज को राजनीति एवं सभी क्षेत्रों में कैसे हाशिए में रखा जाए उसकी राजनीति करने में मशगूल हैं , रही अनुसूचित जाति वर्ग का तो इस सरकार में कोई मंत्री का प्रतिनिधित्व भी सरकार नहीं दी है ।आज के डेट में कोई भी अनुसूचित जाति वर्ग से मंत्री तक नहीं है जो अन्याय की पराकाष्ठा है। श्री नायक ने यह भी कहा कि सरकार को और दलित,ओबीसी के विधायकों को आने वाले दिनों में यह जवाब देना होगा कि आखिर किस परिस्थिति में लातेहार,सिमडेगा ,खूंटी
गुमला, लोहरदगा ,पश्चिम सिंहभूम और दुमका में ओबीसी को जिलावर आरक्षण में शुन्य और ईडब्ल्यूएस का आरक्षण 10% तथा अनुसूचित जाति का आरक्षण 5% कैसे कर दिया गया है और दलित ओबीसी के विधायकों ने सदन में आवाज क्यों नहीं बुलंद किया ।इन्होंने सरकार से मांग किया कि वे अनुसूचित जाति एवं ओबीसी के जिलावर आरक्षण देने में अविलंब सुधार करने का कार्य करें और अनुसूचित जाति को 12% एवं ओबीसी वर्ग को कम से कम तत्काल 27% आरक्षण देने का कार्य करें नहीं तो दोनों वर्गों को गोलबंद कर सरकार के खिलाफ व्यापक आंदोलन करने की रणनीति बनाई जाएगी जिसकी जिम्मेवारी सरकार पर होगी ।

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