Saturday, July 27, 2024
HomeJharkhandउद्यमियों-व्यवसायियों के प्रति राज्य सरकार के उदासीन रवैये से चेंबर के तेवर...

उद्यमियों-व्यवसायियों के प्रति राज्य सरकार के उदासीन रवैये से चेंबर के तेवर तल्ख

उद्योग सचिव सोच बदलें नहीं तो मुख्यमंत्री उद्योग सचिव बदलें"


रांची। फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज ने राज्य के उद्यमियों और व्यवसायियों के प्रति हेमंत सोरेन सरकार की उदासीनता को लेकर गंभीर चिंता जताई है। इस संबंध में शुक्रवार को चेंबर भवन स्थित सीताराम रूंगटा सभागार में आयोजित प्रेसवार्ता में चेंबर के पदधारियों व उद्यमियों ने उद्योग सचिव के रवैए पर नाराजगी जताई। चेंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि राज्य में बंद पड़ी फैक्ट्रियों के रिवाईवल पर सरकार की चिंता सरकार की चिंता स्वभाविक है। यह प्रयास औद्योगिकीकरण के द्वार खोलेगा। इसी दिशा में गत दिनों दिल्ली में निवेशक सम्मेलन का आयोजन सकारात्मक प्रयास है, लेकिन उचित होता, इस सम्मेलन का आयोजन झारखंड में ही राज्य के स्थानीय उद्यमियों के साथ किया जाता।
चेंबर के वरिष्ठ सदस्य अजय भंडारी ने कहा कि मोमेंटम झारखंड को हमने विफल होते देखा है। क्या इस विफलता की समीक्षा हुई ? हमारा मानना है कि इसका मुख्य कारण सरकार की योजनाओं के अनुरूप योजनाओं का क्रियान्वयन नहीं होना तथा उद्यमियों एवं औद्योगिक संगठनों की सहभागिता नहीं होना ही है। इस प्रयास में केवल निवेश बुलाने की कोशिश मात्र ही हो पाई।
उन्होंने कहा कि फिर सरकार ने स्थानीय उद्यमियों को नजरअंदाज कर प्रदेश से बाहर में निवेशक सम्मेलन
का आयोजन किया है। मार्च माह में भी दिल्ली में स्टेकहोल्डर्स मीट का आयोजन किया गया था। उक्त स्थानीय उद्यमियों एवं संगठनों के दबाव से उद्योग विभाग द्वारा रांची में भी स्टेकहोल्डर्स मीट
का आयोजन कर महज खानापूर्ति की गई। उसी बैठक में उद्योग सचिव ने स्थानीय उद्यमियों
व व्यवसायियों के समाधान के लिए फेडरेशन चैंबर और अन्य औद्योगिक संगठनों के साथ बैठक करने की बात कही थी, लेकिन उसके बाद से अब तक 5-6 बैठकें निर्धारित करके, उन सभी बैठकों को स्थगित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि मतलब स्पष्ट है कि उद्योग विभाग द्वारा स्थानीय इकाईयों की समस्याओं को नजरअंदाज किया गया।
जो राज्य में औद्योगिकीरण के लिए अच्छे संकेत नहीं है।
उन्होंने कहा कि उद्यमियों और व्यवसायियों की समस्याएं पर सरकार को संज्ञान लेने की आवश्यकता है।
एक तरफ राज्य सरकार द्वारा बंद फैक्ट्रियों के रिवाईयल का प्रयास किया जा रहा है, वहीं और विभागीय अधिकारियों द्वारा चलत उद्योगों को बंद करने की दिशा में कार्रवाई की जा रही है। उदाहरण के तौर पर फैक्ट्री लाईसेंस के रिन्यूअल और पॉल्यूशन बोर्ड से कंसेंट टू मिलने में हो रहे विलंब से उद्यमी परेशान हैं। यदि श्रम विभाग और पॉल्यूशन बोर्ड से उद्यमी ऐसे ही परेशान होते रहे तो बंद पडे उद्योगों का सरवाईवल तो दूर, चल रहे उद्योग भी कगार पर आ जायेंगे। इंस्पेक्टर ऑफ फैक्ट्री कार्यालय द्वारा फाइल क्लियर नहीं किये ज शिकायतें नियमित रूप से हमारे संज्ञान में आ रही हैं।

देवीपुर औद्योगिक क्षेत्र में दो वर्षों से भी अधिक अवधि से 81 प्लॉटों में से आज तक एक भी उद्यमी को आवंटित प्लॉट पर एसपियाडा द्वारा नहीं दिलाया जा सका है। ऐसे में उद्यमी प्लॉट आवंटन में पूंजी लगाकर लंबे समय से प्रतीक्षारत हैं।

औद्योगिक क्षेत्र की आधारभूत संरचना को विकसित करने हेतु पिछले कई वर्षों से द्योगिक संगठनों द्वारा आवाज उठाई जाती रही है। चिंतनीय है कि अब तक इस क्षित कार्रवाई नहीं की जा सकी है।
राज्य में निर्मित नीतियां अच्छी होने के बावजूद निवेशकों में आत्मविश्वा

जिसका मुख्य कारण पॉलिसी का सुचारू रूप से क्रियान्वयन नहीं होना है
पॉलिसी के तहत यूनिट्स को दी जानेवाली निर्धारित सब्सिडी का
अप्रूवल नहीं होने से आर्थिक रूप से यूनिट को समस्या होती है।
चेंबर के कई सदस्यों ने कहा कि उद्योग सचिव व्यापारियों और उद्यमियों के साथ कभी भी वार्ता के लिए तैयार नहीं होती हैं। उन्होंने कहा कि उद्योग सचिव को वह आमंत्रित करते हैं वह चेंबर भवन में आएं और व्यवसायियों के साथ वार्ता करें।
प्रेस वार्ता में चेंबर के महासचिव राहुल मारू, पूर्व अध्यक्ष पूर्व अध्यक्ष दीपक मारु, पूर्व उपाध्यक्ष धीरज तनेजा, किशोर मंत्री, प्रमोद चौधरी, सुरेंद्र कुमार सिंह सहित अन्य मौजूद थे।

बॉक्स:
तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया बदहाल : सुरेंद्र सिंह
रांची। तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया उद्यमी एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा कि तुपुदाना इंडस्ट्रियल एरिया के उद्यमी बदहाल हैं। तकरीबन 360 एकड़ में फैले इस औद्योगिक क्षेत्र के प्रति राज्य सरकार का उदासीन रवैया रहा है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में यहां लगभग 350 यूनिट उद्योग स्थापित है। जिसमें से लगभग 200 यूनिट बीमार उद्योग की श्रेणी में आ गए हैं। इस दिशा में राज्य सरकार का उद्योग विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। उन्होंने बताया कि अलग राज्य गठन के बाद तुपुदाना औद्योगिक क्षेत्र के विकास की दिशा में उद्यमियों ने प्रयास किया, लेकिन सरकार द्वारा यथोचित सहयोग नहीं मिलने के फलस्वरूप उद्यमी यहां बदहाल हैं। विपरीत परिस्थितियों में उद्यमी यहां पर अपने उद्योग धंधे को किसी प्रकार जीवंत रखे हुए हैं। यहां आधारभूत संरचना विकसित करने की दिशा में भी कभी राज्य सरकार ने गंभीरता नहीं दिखाई।
श्री सिंह ने बताया कि पूरे औद्योगिक क्षेत्र में जलापूर्ति की सरकार द्वारा कोई व्यवस्था नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र में उद्यम लगाने वाले उद्यमी अपने स्तर से बोरिंग करा कर पानी की व्यवस्था करते हैं। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तुपुदाना औद्योगिकग क्षेत्र की सड़कों को काटकर जगह-जगह गड्ढे बना दिए गए हैं। लगभग 32 करोड़ रुपए की नाली बनाने की योजना औद्योगिक क्षेत्र में चलाई जा रही है‌ जिसका कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि यह सीधे तौर पर सरकारी राशि की बंदरबांट करने की योजना है।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -

Most Popular

Recent Comments