Saturday, September 7, 2024
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सरला बिरला पब्लिक स्कूल में बच्चों के दादा-दादी को समर्पित वात्सल्यम-1 मनाया गया

मानव जीवन के विभिन्न चरणों को, तितली के जीवन चक्र की गाथा से जोड़कर दिखाया गया।

दादा-दादी परिवार की मजबूत नींव होते हैं। उनका सम्मान करने के लिए सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची ने वात्सल्यम दो ‘दादा-दादी दिवस‘ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया। बच्चों ने एसडीजी 15ः ’भूमि पर जीवन‘ को ध्यान में रखते हुए, ‘बायो रिद्म- द सांग आॅफ लाइफ‘ थीम पर प्रस्तुत किया। इस कार्यक्रम के द्वारा विद्यार्थियों ने अपने माता-पिता और दादा-दादी के प्रति प्यार, सम्मान और कृतज्ञता प्रकट किये।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से की गई तत्पश्चात गणेश वंदना और स्वागत नृत्य प्रस्तुत किए गए। प्राचार्या ने स्कूल मैगजीन भी रिलीज किया। उन्होंने पीएम कौशल विकास योजना 3.0 के तहत सरला बिरला पब्लिक स्कूल, रांची द्वारा शुरू की गई कौशल हब कार्यक्रम के सहायक सौंदर्य चिकित्सक पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र दिया। मानव जीवन के विभिन्न चरणों को, तितली के जीवन चक्र की गाथा से जोड़कर दिखाया गया। इन चरणों में एक सुंदर तितली के अंडे से प्रारंभिक चरण तक के संघर्ष को दिखाया गया, जो दर्शाता है कि मानव जीवन भी कई बाधाओं का सामना करता है जिन्हें प्रत्येक व्यक्ति को अपने कठिन परिश्रम और दृढ़ता से पार करना पड़ता है। इस कार्यक्रम ने दादा-दादी और बच्चों के बीच प्रेम के रिश्ते को उजागर किया। रंग-बिरंगी पोशाकों में बच्चों की मनमोहक प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम की सफलता दादा-दादी की मुस्कानों से लगाई जा सकती थी, जो अपने पोते-पोतियों को प्रदर्शन करते देख अभिभूत हो गए। यह दिन उनके लिए निःसंदेह एक यादगार क्षण बन गया। साथ ही पीएम कौशल विकास योजना 3.0 के तहत, सहायक ब्यूटी थेरेपिस्ट पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों को प्राचार्य द्वारा उनके प्रमाण पत्र दिए गए।
प्राचार्या, श्रीमती परमजीत कौर ने इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा और बढ़ते खर्चों की इस दुनिया में जीवित रहने के लिए, आमतौर पर बच्चों से अपेक्षायें बढ़ गई है और हर माँ-बाप चाहते हैं कि उनके बच्चे बड़े होने पर अधिकतम कमा सकें। इसके बजाय हमें इन्हेरीटेंस ऑफ़ इनवेल्युएबल क्वालिटी पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। अगर हम उनके दिमाग में केवल पैसा और सफलता ही डालेंगे, तो वे हर रिश्ते को बहुत भौतिकवादी दृष्टिकोण से तौलेंगे और अंततः पारस्परिक संबंधों में कभी सफल नहीं हो पाएंगे। हमें उन्हें ऐसे मूल्य देने की जरूरत है जो सफलता और पैसे को समाहित कर सकें।

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