अमर शहीद शेख भिखारी समारोह समिति मुड़मा, नया सराय के तत्वावधान में शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह की 166 वीं शहादत धुर्वा स्थित शेख भिखारी चौक शहीद मैदान के पास मनाई गई। वक्ताओं ने शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह के कृतित्व एवं व्यक्तित्व पर विचार प्रकट करते हुए राष्ट्रीय एकता, अखंडता एवं झारखंड की साझी विरासत को बचाने का संकल्प लिये । वक्ताओं ने कहा कि शहीद शेख भिखारी का जन्म 1819 में ओरमांझी स्थित खुदीया लुटवा गांव में हुआ था। बचपन से ही उनके अंदर सैन्य क्षमता अपार था। झारखंड के अमर शहीद स्वतंत्रता संग्राम के महान सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाही के प्रमुख सेना नायकों में शेख भिखारी एक थे। जो सामाजिक एवं सांस्कृतिक एकता के गतिमान नायक थे।
राष्ट्रीय एकता, अखंडता एवं झारखंड की विरासत को बचाने का संकल्प
इस अवसर पर ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि जिस मूल्यों की रक्षा के लिए शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह ने हंसते हंसते अपने प्राणों की आहुति दी है उसे आज तार- तार किया जा रहा है। एक भाई को दूसरे भाई को लडाने का साजिश किया जा रहा है। हम अपनी एकता को बनाएं रखें।
इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में झारखंड राज्य अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष शमशेर आलम ने कहा कि देश की आजादी को बचाए रखना ही शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह को सच्ची श्रद्धांजलि है। उन्होंने कहा कि शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह के एकता का मीनार का निर्माण निश्चित होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह की जीवनी को पाठ्यक्रमों में शामिल करने व इनके नाम शैक्षणिक संस्थानों के निर्माण की दिशा में पूर्ण मदद किया जाएगा।
अति विशिष्ट अतिथि सी पी आई के जिला सचिव अजय सिंह, विशिष्ट अतिथि समाजसेवी एनुल हक, नानिम न्यूज़ के संपादक सैय्यद आलम, मुख्य वक्ता झारखंड आंदोलनकारी संघर्ष मोर्चा के संस्थापक पुष्कर महतो, भवन सिंह
झारखंड आंदोलनकारी भुवनेश्वर केवट, यासमीन लाल, हकीम नाज,फिरोज अंसारी, हरिराम रजवार, फरहाना खातून,उबैश आजाद,कैलाश यादव, कारी जान मोहम्मद,राजकुमार यादव, कुदुस अंसारी, अर्जुन बैठा संतोष महतो, बिंदे मुंडा ने शहीद शेख भिखारी व शहीद टिकैत उमराव सिंह को नमन करते उनके सपनों को मंजिल तक पहुंचाने का आह्वान किया।
कार्यक्रम का सफल संचालन अमर शहीद शेख भिखारी समारोह समिति के प्रचार प्रभारी राजेन्द्र कांत महतो व मैजुल हक ने की।